मेरी बच्चन की जीवन शैली उस समय जब मै करीब 7 साल का था तो मै कुछ भी नही जानता था कि मुझे क्या करना है बस दिन भर गुड्डी- गुड़ियों के साथ खेलना और छोटे- छोटे घर बनाना मिटियो के और हाथी - घोड़े बनाकर ख़ूब खेलते थे, सुबह- सुबह रोज रोज स्कूल जाना बहुत अच्छा लगता था, लेकिन मै पढ़ाई में बहुत कमजोर था इसलिए मैं रोज मार खाता था अपनी हिंदी टीचर से लेकिन घर आता और सब कुछ भूल कर फिर से मम्मी मेरा बैग निकालती और हाथ और पैरों को धोने को कहती और फिर खाना परोस देती थी, उसके बाद मैं फिर से अपना होमर्क करू और उसके बाद खेलने लगता था, रोज- रोज यही चलता रहा और जब मै पचवी क्लास में आया तो थोड़ा पढ़ाई का लोड आया , लेकिन मै पढ़ाई में बहुत ही कमजोर होने की वजह से मै मेहनत तो बहुत करता था लेकिन मेरे दिमाग में कुछ भी नहीं अंदर जाता था जितना भी पढू सब कुछ भूल जाता था लेकिन मै कोसिस पूरी करता था लेकिन बार बार मेरी किस्मत मुझे धोका दे देती थी, पर अब बात बोर्ड एग्जाम की थी क्योंकि उस समय पाचवी कच्छा को बोर्ड माना जाता था तो पेपर भी एमपी बोर्ड भोपाल से बनकर आते थे तो जब मै...