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परम पिता की हम स्तुति गायें, PARAM PITA KI HUM STUTI GAYE, HINDI JESUS WORSHIP SONG

परम पिता की हम स्तुति गायें,  PARAM PITA KI HUM STUTI GAYE, HINDI JESUS WORSHIP SON G   aatmik geetmala  परम पिता की हम स्तुति गायें Lyrics परम पिता की हम स्तुति गायें|  वो ही है जो बचाता हमें ||  सारे पापों को करता क्षमा |  सारे रोगों को करता चंगा ||  परम..2 धन्यवाद दें उसके आसनों में |   आनन्द से आयें उसके चरणों में ||   संगीत गाकर के खुशी से|   मुक्ति की चट्टान को जय ललकारें||  वही हमारा है परम पिता |  तरस खाता है सर्व सदा ||  पूरब से पश्चिम है जितनी दूर|  उतनी ही दूर किये हमारे गुनाह||  परम...........................2   मा की तरह उसने दी तसल्ली |  दुनिया के खतरों में छोड़ा नहीं ||   खालिस दूध है कलाम का दिया|   और दिया हमको अनंत जीवन ||   परम..........................2 चरवाहे की मानिंद ढूढ़ा उसने |  पापों की कीच से निकाला हमें ||  हमको बचाने को जान अपनी दी |  ताकि हाथ में हम उसके रहें ||  परम .......

अनुसूचित जाति/जनजाति के ऊपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ़ राष्ट्रीय हेल्प लाइन चालू करेंगे

 अनुसूचित जाति/जनजाति के ऊपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ़ राष्ट्रीय  हेल्प लाइन चालू करेंगे  भारत सरकार भेद-भाव को बुराई  को करने के लिये  अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) को सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से कानून के नियम के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से सोमवार को एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन शुरू करेगी। आपने "पीओए अधिनियम, 1989" और "पीसीआर अधिनियम, 1955 " का उल्लेख किया है। ये दोनों भारतीय कानून के प्रति संबंधित हैं: पीओए अधिनियम, 1989 (POA Act, 1989 ) : यह भारत में दलितों और अति-जाति जनजातियों के खिलाफ हो रहे अत्याचार, उत्पीड़न, और वामन जैसे अपराधों को रोकने और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। इस अधिनियम के तहत, ऐसे अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है जो इन समुदायों के खिलाफ अपराध करते हैं। पीसीआर अधिनियम, 1955 (PCR Act, 1955 ) : यह अधिनियम भारतीय पुलिस सेवा के कर्मचारियों के नियमों और आचरण को संरचित करने के लिए बनाया गया है। इसका उद्देश्य पुलिस के साथीत्व को प्रोत्साहित करना है और पुलिस के कर्मचारियो...

मेरी बच्चन की जीवन शैली

मेरी बच्चन की जीवन शैली उस समय जब मै करीब 7 साल का था तो मै कुछ भी नही जानता था कि मुझे क्या करना है बस दिन भर गुड्डी- गुड़ियों के साथ खेलना और छोटे- छोटे घर बनाना मिटियो के और हाथी - घोड़े बनाकर ख़ूब खेलते थे, सुबह- सुबह रोज रोज स्कूल जाना बहुत अच्छा लगता था,  लेकिन मै पढ़ाई में बहुत कमजोर था इसलिए मैं रोज मार खाता था अपनी हिंदी टीचर से लेकिन घर आता और सब कुछ भूल कर फिर से मम्मी मेरा बैग निकालती और हाथ और पैरों को धोने को कहती और फिर खाना परोस देती थी,  उसके बाद मैं फिर से अपना होमर्क करू और उसके बाद खेलने लगता था, रोज- रोज यही चलता रहा और  जब मै पचवी क्लास में आया तो थोड़ा पढ़ाई का लोड आया , लेकिन मै पढ़ाई में बहुत ही कमजोर होने की वजह से मै मेहनत तो बहुत करता था  लेकिन मेरे दिमाग में कुछ भी नहीं अंदर जाता था जितना भी पढू सब कुछ भूल जाता था लेकिन मै कोसिस पूरी करता था लेकिन बार बार मेरी किस्मत मुझे धोका दे देती थी,  पर अब बात बोर्ड एग्जाम की थी क्योंकि उस समय पाचवी कच्छा को बोर्ड माना जाता था तो पेपर भी एमपी बोर्ड भोपाल से बनकर आते थे  तो जब मै...